What We Talk About When We Talk About the Media (Jon Stewart Edition) - The Atlantic: "(Did you know that, if you rearrange the letters of “the media,” you get the phrase “‘them’ idea”?"
Tuesday, February 28, 2017
Thursday, February 23, 2017
Somnath Mandir, Sourath
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रथम स्थान पाने वाले सोमनाथ मन्दिर का इतिहास बहुत कुछ भारत के इतिहास की कहानी है | कहते हैं की सौराष्ट्र का सोमनाथ मन्दिर भारत का सबसे समृद्ध मन्दिर था जिसके पास १००० गाँवें थीं| १००० ब्राह्मण यहाँ पूजा-पाठ में लगे रहते थे| अर्चना के लिए जल गंगा से और पूजा के लिए फूल काश्मीर से आने की किंवदंती है| मन्दिर में सोने के भारी जंजीर से बंधा घंटी बजता था |
जब १०२६ ईस्वी में मोहम्मद गज़नी ने इस मन्दिर को लूटा और धास्त कर दिया तब कहते है कि कुछ ब्राह्मण उस शिवलिंग की पवित्रता बचाए रखने के लिए उसे जंगलों से आच्छादित मिथिला ले आए | वहाँ उन्होंने सौराष्ट्र नाम का गाँव बसाया और सोमनाथ शिवलिंग की स्थापना की| कालांतर में सौराष्ट्र सौराठ बन गया, परंतु सोमनाथ मन्दिर और शिवलिंग आज भी है|
मन्दिर छोटा है और प्राचीन मन्दिर ध्वस्त भी हो चुका है| ग्रामीणों के प्रयास से एक नया मन्दिर बनाया गया| परन्तु शिवलिंग अभी भी है| मन्दिर के मध्य में एक कुंड में शिवलिंग स्थापित है| शिवलिंग का अधिकांश हिस्सा जलकुण्ड में डूबा रहता है| मन्दिर ऊंचे स्थान पर है, कमला और जीबछ नदियाँ दूर बहती फिर भी लिंग का बड़ा हिस्सा जल में डूबा रहना लोगों को अचंभित करता है| तीन फीट लम्बे, चौड़े और गहरे कुण्ड में लगभग दस इंच व्यास के काले पत्थर के शिवलिंग का केवल थोड़ा सा हिस्सा ऊपर दिखाई देता है| कभी-कभी इसके जलस्तर में कमी भी आती है, तब गहराई में नीचे यह अनगढ़ पत्थर की पीठिका पर स्थित दिखाई देता है | शिवलिंग के ऊपर का भाग ऊर्ध्वमुख चंद्राकर एवं कटावदार है| बीच में एक सूक्ष्म दरार रेखा ल्म्बबत नीचे की ओर गई दिखती है| मन्दिर के एक कोने में नंदी मूर्ति और दूसरे कोने में एक भग्न आवक्ष मूर्ति रखी हुई है|
मधुबनी से सात किलोमीटर और एन एच १०५ से एक किलोमीटर दूर अवस्थित सौराठ मैथिल ब्राह्मणों की वैवाहिक सभा के चलते देश-विदेश में प्रतिष्ठित है |
वैसे मिथिला पंचदेवोपासक है, परन्तु शक्ति और शिव का यहाँ विशेष स्थान है| कपिलेश्वर स्थान, शिलानाथ, विदेश्वर महादेव यहाँ के प्रमुख शैव स्थल हैं, महाकवि विद्यापति ने अपने नचारी के द्वारा शिव भजन को यहाँ के जन-जन तक पहुंचा दिया | डोकहर का राज-राजेश्वरी मन्दिर शिव-शक्ति का संयुक्त मन्दिर है|
यहाँ यह तथ्य ध्यातव्य है कि मैथिलों और गुजरातियों में बहुत साम्य है, वाणिज्यिक कुशलता को छोड़ कर | गुजरात से मध्य प्रदेश होते हुए ब्राह्मण मिथिला पहुंचे | इसलिए आज भी मैथिल ब्राह्मणों के मूल ग्राम में मध्य प्रदेश के स्थानों का जिक्र होता है| क्या यही ब्राह्मण सोमनाथ के मौलिक शिवलिंग को लेकर मिथिला आए ?
सन्दर्भ ग्रन्थ
इंद्र नारायण झा - मिथिला दिग्दर्शन , विद्यापति परिषद् , रामगढ़ , १९८४.
सुनील कुमार मिश्र , दामोदर प्रकाशन, सतलखा , मधुबनी , २०१०
Hindupedia
जब १०२६ ईस्वी में मोहम्मद गज़नी ने इस मन्दिर को लूटा और धास्त कर दिया तब कहते है कि कुछ ब्राह्मण उस शिवलिंग की पवित्रता बचाए रखने के लिए उसे जंगलों से आच्छादित मिथिला ले आए | वहाँ उन्होंने सौराष्ट्र नाम का गाँव बसाया और सोमनाथ शिवलिंग की स्थापना की| कालांतर में सौराष्ट्र सौराठ बन गया, परंतु सोमनाथ मन्दिर और शिवलिंग आज भी है|
मन्दिर छोटा है और प्राचीन मन्दिर ध्वस्त भी हो चुका है| ग्रामीणों के प्रयास से एक नया मन्दिर बनाया गया| परन्तु शिवलिंग अभी भी है| मन्दिर के मध्य में एक कुंड में शिवलिंग स्थापित है| शिवलिंग का अधिकांश हिस्सा जलकुण्ड में डूबा रहता है| मन्दिर ऊंचे स्थान पर है, कमला और जीबछ नदियाँ दूर बहती फिर भी लिंग का बड़ा हिस्सा जल में डूबा रहना लोगों को अचंभित करता है| तीन फीट लम्बे, चौड़े और गहरे कुण्ड में लगभग दस इंच व्यास के काले पत्थर के शिवलिंग का केवल थोड़ा सा हिस्सा ऊपर दिखाई देता है| कभी-कभी इसके जलस्तर में कमी भी आती है, तब गहराई में नीचे यह अनगढ़ पत्थर की पीठिका पर स्थित दिखाई देता है | शिवलिंग के ऊपर का भाग ऊर्ध्वमुख चंद्राकर एवं कटावदार है| बीच में एक सूक्ष्म दरार रेखा ल्म्बबत नीचे की ओर गई दिखती है| मन्दिर के एक कोने में नंदी मूर्ति और दूसरे कोने में एक भग्न आवक्ष मूर्ति रखी हुई है|
मधुबनी से सात किलोमीटर और एन एच १०५ से एक किलोमीटर दूर अवस्थित सौराठ मैथिल ब्राह्मणों की वैवाहिक सभा के चलते देश-विदेश में प्रतिष्ठित है |
वैसे मिथिला पंचदेवोपासक है, परन्तु शक्ति और शिव का यहाँ विशेष स्थान है| कपिलेश्वर स्थान, शिलानाथ, विदेश्वर महादेव यहाँ के प्रमुख शैव स्थल हैं, महाकवि विद्यापति ने अपने नचारी के द्वारा शिव भजन को यहाँ के जन-जन तक पहुंचा दिया | डोकहर का राज-राजेश्वरी मन्दिर शिव-शक्ति का संयुक्त मन्दिर है|
यहाँ यह तथ्य ध्यातव्य है कि मैथिलों और गुजरातियों में बहुत साम्य है, वाणिज्यिक कुशलता को छोड़ कर | गुजरात से मध्य प्रदेश होते हुए ब्राह्मण मिथिला पहुंचे | इसलिए आज भी मैथिल ब्राह्मणों के मूल ग्राम में मध्य प्रदेश के स्थानों का जिक्र होता है| क्या यही ब्राह्मण सोमनाथ के मौलिक शिवलिंग को लेकर मिथिला आए ?
सन्दर्भ ग्रन्थ
इंद्र नारायण झा - मिथिला दिग्दर्शन , विद्यापति परिषद् , रामगढ़ , १९८४.
सुनील कुमार मिश्र , दामोदर प्रकाशन, सतलखा , मधुबनी , २०१०
Hindupedia
Monday, February 20, 2017
The Dangers of Talking About an American 'Deep State' -
The Dangers of Talking About an American 'Deep State' - The Atlantic:
'Deep State' refers to elements in bureaucracy and governing institutions' who are deeply committed to 'liberal-Secular' values and resist govt's moves they consider anti-thetical to democracy.
'Deep State' refers to elements in bureaucracy and governing institutions' who are deeply committed to 'liberal-Secular' values and resist govt's moves they consider anti-thetical to democracy.
Wednesday, February 1, 2017
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