Wednesday, November 3, 2021
दिवाली और पर्यावरण
दिवाली और पर्यावरण
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने दिवाली में पटाखा फोड़ने के अनुभव और आनंद से बच्चों को वंचित रखने का विरोध किया है | उनका कहना है कि पर्यावरण की इतनी ही चिंता है तो बड़े कार्यालय तीन दिन अपनी गाड़ी छोड़कर दूसरे साधनों से जाएँ | मोदी और भाजपा विरोधी सद्गुरु के इस विचार की कड़ी निंदा कर रहे हैं | कल मेरा सात साल का पोता छुड़छुड़ी छोड़कर कितना खुश हो रहा था इसका अनुभव हमने किया |
बचपन में हमलोग करची ( बांस की } में बांस के खपलोईए को घोंप कर हुक्का लोली भाँजते थे | शहरी बच्चों की बात छोड़िये गाँवों में भी बच्चे शायद इसे नहीं जानते होंगे | लोहे के तार में कपड़ा बांधकर और उसे किरासन तेल में डुबो कर भी हम लोग हुक्का लोली भाँजते थे, और पुराने समय से प्रचलित खढ और संठी से बना हुक्का लोली तो भाँजते थे ही | हमारे बच्चे इन सबके विषय में कैसे जानेंगे ?
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