निम्न न्यायालय का संबंध तथ्यों से है, उच्च न्यायालय का संबंध निर्णय की त्रुटियों से है तथा उच्चतम न्यायालय का संबंध बुद्धिमत्ता से है, २) किन्तु उच्चतम न्यायालय भी गलती कर सकता है इसलिए आवश्यक है कि उस त्रुटि को ठीक करने की राह खुली रखी जाए| यह अपने निर्णय का पुनर्विलोकन है|
Lower courts examine facts, the High Court examines the fault in judgment, the Supreme Court is supposed to be the repository of Wisdom. 2) But as the SC may also err it was thought necessary to give the SC opportunity to mend its mistake through Review of its own decision.
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