इस देश की ऋषि परंपरा के राजनेता थे, राजगोपालाचारी –
हरिवंश, उपसभापति, राज्य सभा
आज हरिवंश जी ने चौंकाया। उनके एक लेख ने मीनू मसानी
की याद दिलाई जो पहले समाजवादी थे बाद में चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के साथ
स्वतंत्र पार्टी के संस्थापकों में से एक बने। हरिवंश जी लिखते हैं:
" इस देश की ऋषि परंपरा के राजनेता थे, राजगोपालाचारी । उन्होंने अर्थनीति में
बढ़ते सरकारीकरण पर देश को तब चेताया था कि लाइसेंस, कोटा, परमिट राज का हस्र क्या होगा ? उन्होंने उस वक़्त
कहा कि कभी भ्रष्टाचार क़ानून-व्यवस्था की जॉंच करने वाले अफ़सरों, मामूली
मजिस्ट्रेसी या राजस्व विभाग तक ही सीमित था । पर अब भ्रष्टाचार राष्ट्रीय उद्योग
के हर क्षेत्र में पसर चुका है। उसे नियंत्रित कर चुका है और राष्ट्रीय जीवन के हर
स्तर पर नैतिक अराजकता है। याद रखें मनीषी राजगोपालाचारी ने यह बात तब कही थी, जब पंडित जवाहरलाल
नेहरू का शासन था। उसके बाद फिसल कर हम कहां पहुंच गये, यह सब जानते हैं।
"
यहॉं यह स्मरणीय है कि जब पंडित नेहरू अपनी कल्पना के
भारत की खोज कर रहे थे चक्रवर्ती राजगोपालाचारी रामायण, महाभारत, भगवद्गीता, उपनिषद्, वेदांत के माध्यम
से लोगों के चरित्रनिर्माण और राष्ट्रनिर्माण का प्रयत्न कर रहे थे। राजगोपालाचारी
ने कॉंग्रेस और भ्रष्टाचारियों को ' टिड्डियों का दल' कहा था जो भारतीय
व्यवस्था को चट्ट करने में लगा है।
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