केहन मनोरम दृश्य उपस्थित होइत रहल छल हैत।जतऽ सामने सत्ताइस सुवर्ण-मण्डित कपाल -पात्र रहैत छल।अर्घ्य पर श्वेत चमकैत दक्षिणावर्त शंखक अर्घ्य -पात्र ,दाहिना मे शांभवी-शक्ति एवं उज्ज्वल विशालाकार त्रिशूल आ वायाॅ मे महिमामयी दीक्षाभिषिक्ता पूज्याशक्ति, सामने सुवर्ण कलश एवं नीलम अथवा महाशंख पर बनल ' आद्या-यंत्र '।
पूजन सामग्रीक तॅ अंबार लागल रहैत छल।कहल जाइछ जे जाहि नर-कपाल पर साक्षी दीप जरैत छल ओ ताम्बूल (पान) खाइत छल, हॅसैत छल, आ शुद्ध -तीर्थादि ग्रहण करैत छल।काली तंत्र कहैत अछि---
' जीवितं ब्रह्म-रंध्रे तु दीपं प्रज्वालयेत् सुधीः '
क्रमशः शेष पुष्प -2 मे
भवेश चन्द्र मिश्र ' शिवांशु '
नक्षत्र निकेतन, कबड़ाघाट,
दरभंगा।
मो• 9835003759
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