Thursday, December 24, 2015

कृष्ण कल्पित / कल्बे कबीर की कल्पना या इतिहास

राजा को सुबह उठते ही यवन कन्या के दर्शन करने चाहिये यह शुभ होता है
सम्राटों को यह सलाह कौटिल्य ने अपनी क़दीमी-कालजयी किताब 'अर्थशास्त्र' में दी है
उस ज़माने में राजदरबारों में दासियाँ और नर्तकियां यूनानी होती थीं जिसके हवाले संस्कृत-नाटकों में प्रचुर मिलते हैं
भारत से यूनान मसाले और दूसरी चीज़ें जाती थीं और बदले में भारतीय बन्दरगाहों पर गाने वाले लड़के और सुंदर यूनानी युवतियां उतरती थीं
चन्द्रगुप्त मौर्य की जीवन-शैली पर लिखते हुये मेगस्थनीज लिखता है कि उसका खाना यवनियां पकाती थीं और उसे शराब भी पेश करती थीं और जब चन्द्रगुप्त शिकार खेलने जाता था तो शस्त्रधारी यवन युवतियां उसे घेरे रहती थीं जो उसके शस्त्रों की देखभाल भी करती थीं
एक यूनानी दस्तावेज़ के अनुसार पाटलिपुत्र के राजा बिन्दुसार ने एक-बार एंटीओकस को लिखा :
हमें मीठी सुगन्धित शराब अंजीर और एक यूनानी मिथ्यावादी तर्कशास्त्री ख़रीदकर भेज दो
एंटीओकस ने उत्तर में लिखा :
अंजीर और शराब भेज देंगे लेकिन यूनानी क़ानून में तर्कशास्त्री की बिक्री की अनुमति नहीं है
और जवाहर लाल नेहरू ने 'डिस्कवरी ऑफ़ इंडिया' में इस बात का संकेत किया है कि भारतियों ने समलैंगिक सम्बंधों की भी प्रेरणा यूनानियों से ली यूनानी साहित्य से पता चलता है कि वहां इसे सामाजिक मान्यता थी जबकि भारत में समलैंगिकता को बुरा समझा जाता था फ़ारसी साहित्य का माशूक़ भी युवक ही होता था
यवनिका यूनानी कपड़े से बने पर्दे को कहा जाता था इसके आगे कुछ नहीं लिखकर बस इतना लिखता हूँ
यवनिका-पतन !

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